जंगली जानवर

Science-Technology | सिर-पैर के सवाल

क्या जानवर भी समलैंगिक हो सकते हैं?

सवाल जो या तो आपको पता नहीं, या आप पूछने से झिझकते हैं, या जिन्हें आप पूछने लायक ही नहीं समझते

Anjali Mishra | 11 April 2021 | फोटो: विकीमीडिया कॉमन्स

बीसवीं सदी के मशहूर अमेरिकी गीतकार और कंपोजर कोल पॉर्टर के सबसे लोकप्रिय गानों में से एक के बोल हैं – ‘बर्ड्स डू इट, बीज़ डू इट… लेट्स डू इट, लेट्स फाल इन लव…’ इस गाने का हिंदी तर्जुमा कुछ इस तरह हो सकता है कि जो चिड़िया करती हैं, भंवरे करते हैं, चलो वो हम भी करते हैं, चलो प्यार में पड़ते हैं.’ यह गाना बीते कुछ सालों से एलजीबीटीक्यू (लेस्बियन-गे-बाइसेक्सुअल-ट्रांसजेंडर-क्वीर) समुदाय का एंथम बनता जा रहा है. हालांकि कोल पॉर्टर ने यह गाना प्रेम के किस रंग को दिखाने के लिए लिखा था, यह साफ-साफ बता पाना मुश्किल है. साथ ही यह गाना न तो उनकी सेक्शुएलिटी के बारे में कुछ बताता है और ना ही इससे जुड़े उनके किसी विचार का इशारा देता है. फिर भी इस सीधे-सादे प्रेमगीत का इस्तेमाल एलजीबीटीक्यू समूह यह जताने के लिए करता है कि होमोसेक्शुएलिटी या समलैंगिकता कोई अप्राकृतिक चीज नहीं है क्योंकि बाकी जीव-जंतु भी ऐसा करते हैं.

इस चर्चा के बाद यह सवाल सहज ही उठता है कि क्या सच में, जैसा कि इस गीत का अर्थ निकाला जाता है, चिड़िया, भंवरे और बाकी पशु-पक्षियों में भी समलैंगिक रुझान पाया जाता है. चलिए, सिर-पैर के सवाल में इस बार इसी की पड़ताल करते हैं कि मनुष्य के अलावा और कौन से जीव-जन्तु हैं जो समलैंगिक व्यवहार दिखाते हैं.

ऑस्ट्रिया के नोबेल पुरस्कार विजेता जूलॉजिस्ट कोनराड लॉरेंज ने 1950-60 के दशक में करीब डेढ़ हजार प्रजातियों के जानवरों पर कई शोध किए थे. उनकी रिसर्च से पता चलता है कि करीब 450 प्रजातियों के जीव समलैंगिक होते हैं. कुछ ऐसी ही जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के डॉ नाथन बैली ने साल 2004-05 में प्रकाशित अपने एक शोधपत्र में भी दी है.

ये शोध बताते हैं कि हर प्रजाति में समलैंगिक व्यवहार अलग-अलग तरीकों से देखने को मिलता है. ये तरीके बच्चों को पालने, साथ में रहने, विपरीत लिंग का साथी ढूंढ़ने के मामले में अलग होते हैं. उदाहरण के लिए नर डॉल्फिन अपनी इच्छा से दूसरे नर डॉल्फिन को पार्टनर बनाते हैं और केवल संतान पैदा करने के लिए ही मादा डॉल्फिन के संपर्क में आते हैं. बच्चों को पालने की जिम्मेदारी आम तौर पर उनकी नहीं होती. दूसरी तरफ अगर मक्खी जैसे छोटी प्रजाति के जीवों की बात करें तो ये कई बार सामने वाली मक्खी का जेंडर न पहचान पाने के कारण समलैंगिक संबंध बना बैठते हैं.

हंस की कुछ प्रजातियों जैसे कनाडियन गीज़ के बारे में कहा जाता है कि एक नर गीज़ जीवन भर एक ही (नर) पार्टनर के साथ रहता है. बच्चे पैदा करने के लिए गीज़ मादा के संपर्क में आते तो हैं लेकिन कुछ ही समय के लिए, बाद में मादा गीज़ बच्चे लेकर इनसे अलग हो जाती है. इनके बारे में यह जानना दिलचस्प है कि समलैंगिक गीज़ जोड़े में से केवल एक ही नर, मादा से संबंध बनाता है. आंकड़ों में बात करें तो एक तिहाई गीज़ समलैंगिक होते हैं.

सबसे ऊंचे कद के जानवर जिराफ पर आएं तो इनके दस में से नौ जोड़े (नर) समलैंगिक होते हैं. चिम्पांजी की एक प्रजाति, बोनोबो में करीब साठ प्रतिशत सदस्य समलैंगिक होते हैं. इनमें दो मादाओं के बीच सहचर होता है. शेर, लकड़बग्घा, लंगूर, भेड़ जैसे जानवरो में भी कुछ समलैंगिक पाए जाते हैं. पशुओं के अलावा कुछ पक्षी, जैसे ब्लैक स्वान, पेंग्विन, अबाबील (वेस्टर्न सीगल), सारस से लेकर छिपकली, मक्खी, ततैया जैसे कीट तक समलैंगिक व्यवहार करते देखे जा सकते हैं. इन सब जानवरों में केवल भेड़ और समलैंगिक मनुष्यों का एक बड़ा हिस्सा ही ऐसे होते हैं जो समलैंगिक होने पर विपरीत लिंग के साथी में जरा भी रुचि नहीं लेते, वहीं बाकी के जीव-जन्तु बाईसेक्शुअल व्यवहार दिखाते हैं.

जानवरों की सेक्शुएलिटी से भले ही मानव समाज पर कोई प्रभाव न पड़ता हो, लेकिन यह तथ्य समलैंगिक संबंधों को इंसान की सनक या अप्राकृतिक बताने वाले तर्कों को बुरी तरह धराशायी जरूर कर देता है.

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