सवाल जो या तो आपको पता नहीं, या आप पूछने से झिझकते हैं, या जिन्हें आप पूछने लायक ही नहीं समझते
Anjali Mishra | 02 May 2021 | फोटो: पिक्साबे
सोशल मीडिया पर किसी ने मजाक में यह बात कही थी कि दुनिया को आतंकवाद से उतना खतरा नहीं है जितना मच्छरों से है. बहुत हद तक यह बात सही लगती है. दुनिया का हर व्यक्ति सीधे तौर पर आतंकवाद का शिकार भले न हो, मच्छरों का जरूर होता है. उनके चलते मलेरिया से लेकर चिकनगुनिया तक तमाम तरह की बीमारियों का शिकार बनता है. जीवविज्ञान कहता है कि मच्छरों की कुल मिलाकर करीब साढ़े तीन हजार प्रजातियां हैं और हमारा अनुभव कहता है कि उनसे सबसे ज्यादा त्रस्त मानव जाति यानी हम हैं. अब यहां पर यह सवाल उठता है कि कम ही सही पर क्या मच्छर दूसरी प्रजातियों को भी परेशान करते हैं? क्या मनुष्य इकलौता ऐसा जीव है जो मच्छरों का शिकार बनता है या वे दूसरे जीव-जंतुओं को भी काटते हैं?
सबसे पहले तो जान लेते हैं कि मच्छर हमें काटते किस वजह से हैं. मच्छरों के इस अत्याचार पर विज्ञान कहता है कि हमें काटना मच्छरों के जीवन चक्र का अनिवार्य हिस्सा है. यह उनके अस्तित्व के बने रहने के लिए जरूरी है. असल में यहां पर हम यानी मनुष्य एक खाद्य श्रृंखला का हिस्सा बन जाते हैं. इसके साथ ही यह जान लेना भी जरूरी है कि हमें केवल मादा मच्छर ही काटते हैं.
मादा और नर दोनों तरह के मच्छरों को जीने के लिए सुगर या ग्लूकोज की जरूरत होती है. मच्छर सहित हर तरह के कीट इस जरूरत को पूरा करने के लिए फूलों का रस पीते हैं. यही कारण है कि अक्सर पौधों के पास आपको ढेर सारे मच्छर मिलते हैं. लेकिन नर मच्छर जब तक जीते हैं अपना गुजारा फूलों के रस से कर सकते हैं जबकि मादा मच्छरों के साथ ऐसा नहीं है.
मादा मच्छर जैसे ही अंडे देने लायक हो जाती हैं, उनकी पोषण जरूरतें बदलने लगती हैं. तब फूलों का रस उनके लिए पर्याप्त भोजन नहीं रह जाता. इन वयस्क मादा मच्छरों को अपने भोजन में थोड़े वसा और प्रोटीन की भी जरूरत होती है. अपनी इस जरूरत को वे किसी जीव का खून पीकर आसानी से पूरा कर लेते हैं. अपनी यही जरूरत पूरी करने लिए मच्छर हमें और हमारे साथ अन्य जीवों को काटते हैं. जी हां, इंसान के अलावा भी कई और जीव-जंतु हैं जो मच्छरों के भोजन का जरिया बनते हैं.
एक बार पनपने के बाद किसी जगह से मच्छरों का अस्तित्व कभी खत्म नहीं होता. ऐसा इसलिए है कि मच्छर अतिअवसरवादी और खाऊ किस्म के कीट होते हैं. जीवित रहने के लिए यह कीट हमेशा नये-नये विकल्प तलाशता रहता है. यह हर उस पौधे या जीव पर अपने डंक मारता है जो इसे सरवाइव करने में किसी भी तरह से मददगार हो सकता हो.
बेशक, मच्छर इंसानों का खून पीने को हमेशा प्राथमिकता देते हैं क्योंकि इससे उनकी हर जरूरत पूरी हो जाती है. लेकिन अगर कहीं पर इंसान उपलब्ध नहीं है – जैसे कि जंगलों में – तो मच्छर जंगली पक्षियों के खून पर जीते हैं. जंगली मच्छरों की एक प्रजाति ऐसी भी होती है जो इंसानों को छोड़ जंगली पक्षियों का ही खून पीती है. बर्ड फ्लू या जीका वायरस जैसे विषाणु जो पक्षियों में पनपते हैं. उसके इंसानों तक पहुंचने का एक कारण मच्छर भी हैं.
इंसान और जंगली पक्षियों के बाद मच्छर कुछ छोटे स्तनपायी और उभयचर जीवों को काटते हैं. इनमें कुत्ते-बिल्लियों के अलावा सांप, गिरगिट, मेंढक, गिलहरी, खरगोश जैसे छोटे-छोटे जीव शामिल हैं. इनसे आगे बढ़कर वे कभी-कभार कुछ बड़े जीवों जैसे गाय, घोड़ा यहां तक कि कंगारू, वालाबीज और बाकी प्राइमेट्स पर भी अपने डंक आजमा लेते हैं. कुछ वक्त पहले ऑस्ट्रेलिया में कंगारू सहित कई जीवों के मच्छरों से होने वाली बीमारियों का शिकार होने की खबर आई थी. मच्छर आम तौर पर बड़े जीवों को छोटे जीव या मनुष्य के उपलब्ध न होने पर ही काटते हैं. हल्के-फुल्के अंदाज में कहा जाय तो शायद वे स्वाद बदलने के लिए ही ऐसा करते हैं.
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