जो फेसबुक दुनिया को एक समुदाय बनाने का दावा करता है उसी का सीईओ इससे बिलकुल उलट व्यवहार करता दिखता है
सत्याग्रह ब्यूरो | 14 मई 2020 | फोटो: फेसबुक/मार्क जुकरबर्ग
बात है 21 जून 2016 की. फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने अपना एक फोटो फेसबुक और इंस्टाग्राम पर साझा किया था. इंस्टाग्राम भी फेसबुक की ही कंपनी है जिसके 50 करोड़ यूजर होने की खुशी में उन्होंने अपना यह फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. वैसे तो मार्क कुछ भी करें वह चर्चा का विषय बनता ही है लेकिन उनका यह फोटो इस मामले में और भी खास था.
इस फोटो में मार्क जुकरबर्ग एक ऐसे एप्पल कंप्यूटर के पास बैठे हैं जिसके वेबकैम और माइक पर टेप चिपका हुआ है. कहा जा रहा है कि उन्होंने ऐसा हैकरों से बचने के लिए किया होगा. कुछ बेहद शातिर हैकर्स कंप्यूटर के माइक और कैमरे का इस्तेमाल आपकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भी कर सकते हैं. इसलिए जुकरबर्ग ने किसी बड़े तकनीकी तामझाम के बजाय इसका एक देसी सा हल ढूंढ़ लिया. उन्होंने कंप्यूटर की आंख और कान पर टेप लगा दिया.
इससे पहले 14 सितंबर 2015 को मार्क जुकरबर्ग ने फेसबुक, यूट्यूब आदि पर एक वीडियो अपलोड करके दुनिया को अपना नया ऑफिस दिखाया था. कैलिफॉर्निया के मैन्लो पार्क में स्थिति अपने इस नये हैडक्वार्टर में फेसबुक कुछ ही महीने पहले – मार्च 2015 में – शिफ्ट हुआ था. यह दुनिया का सबसे बड़ा ओपन प्लान ऑफिस है (चार लाख तीस हजार वर्ग फुट क्षेत्रफल वाला) जिसमें मार्क सहित फेसबुक के किसी भी बड़े अधिकारी के लिए कोई केबिन नहीं है. सभी यहां खुले में अपनी डेस्क पर बैठते हैं. इसे दुनिया के सबसे बड़े स्थापत्य कलाकारों में गिने जाने वाले कनाडाई मूल के अमेरिकी फ्रैंक ओवन गेहरी ने डिजाइन किया है. 22 एकड़ में बने इस ऑफिस की छत नौ एकड़ की है जिस पर पूरे आकार वाले 400 से ज्यादा पेड़ और 10 हजार से ज्यादा पौधे लगे हैं.
मार्क जुकरबर्ग इसके अगले दिन यानी 15 सितंबर को अपने इस नये ऑफिस में फेसबुक कम्यूनिटी के सदस्यों (फेसबुक का इस्तेमाल करने वाले लोग) के साथ एक मुलाकात (टाउनहॉल क्यू एंड ए) करने वाले थे. वे अपने ऑफिस को दिखाने की शुरुआत इस बात से करते हैं कि अगले दिन कुछ गड़बड़ न हो इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं. फिर वे बताते हैं कि यह उनके लिए एक मौका है दुनिया भर के फेसबुक समुदाय के सदस्यों को सीधा सुनने का और उनके जवाब देने का.
जो फेसबुक दुनिया को एक छोटे से गांव में बदलने का दावा करती है उसका सीईओ सैकड़ों लोगों को अपने हेडक्वार्टर बुलाकर (और अन्य जगहों पर भी ) उनके साथ सभा करना, उनसे बात करना जरूरी समझता है यह अपने-आप में सबक हो सकता है, उनके लिये जो सोचते हैं कि इंटरनेट से जुड़ा होना आमने-सामने होने का पर्याय बन गया है.
इस बात को मार्क जुकरबर्ग ही इस वीडियो में आगे और भी मजबूती देते हैं जब वे बताते हैं कि अपने ऑफिस को उन्होंने खुला हुआ इसलिए बनाया है ताकि लोग एक दूसरे के साथ नजदीक रहकर काम कर सकें. उनके मुताबिक ऐसा करने से लोगों को एक-दूसरे के साथ चीजें साझा करने, संवाद करने और समन्वय बनाने में आसानी होती है. बात थोड़ी अजीब है. जहां लोग फेसबुक की कम्यूनिटी में अपना आस-पास भूलकर बड़ी तेजी से दुनिया के दूसरे छोर वालों से मित्रता निभाने वाले बनते जा रहे हैं, वहीं फेसबुक का मालिक साथ बैठने, मिलकर काम करने और बात करने को कम से कम अपने ऑफिस में बढ़ावा देने में यकीन रखता है. उसे लगता है कि ऐसा करने से उसके ऑफिस की कार्यक्षमता कई गुना बढ़ सकती है.
लगभग चार मिनट के इस वीडियो के लगभग बीच में मार्क जुकरबर्ग हमें अपना वह डेस्क दिखाते हैं जहां पर बैठकर वे अपना काम करते हैं. इस डेस्क पर हमें 12 से 15 किताबें रखी नजर आती हैं जो मार्क को पढ़नी थीं या वे पढ़ रहे थे. यह भी थोड़ा अजीब है. मार्क डिजिटल युग के एक नौजवान उद्यमी हैं (उस समय मार्क की उम्र मात्र 32 साल ही थी). और अगर कोई उन्हें कुछ पढ़ते हुए सोचे तो शायद अपनी कल्पना में यही देखेगा कि वे किसी किंडल जैसे ई-बुक रीडर पर किसी किताब को पढ़ रहे हैं. लेकिन उनके ऑफिस डेस्क पर, जो कि ऑफिस के ढेरों लोगों के बीच है, कागज की किताबों का ढेर लगा रहता है.
मार्क जुकरबर्ग के ऐसा करने पर सवाल उठाने की नहीं बल्कि इंटरनेट और उससे जुड़ी चीजों और तकनीक को पहनने, ओढ़ने, खाने, पीने और सबकुछ समझने वाले लोगों को जरा सोचने की जरूरत है.
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