तेज पेट दर्द हो, अचानक ही हो जाए तब तो आदमी भागकर डॉक्टर के पास जाता ही है. असल मुश्किल तो हल्के-हल्के पेट दर्द के साथ जुड़ी है
Satyagrah Bureau | 23 August 2020 | फोटो: पिक्साबे
चिकित्सा विज्ञान में पेट को ‘जादू का बक्सा’ माना जाता है. ऊपर से कुछ भी न दिखे या समझ आए और अंदर से न मालूम क्या निकल जाए! अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई, एंडोस्कोपी आदि दसों अत्यंत आधुनिक समझे जाने वाले टेस्ट भी पेट के मामले में कुछ हद तक ही मदद कर पाते हैं.
आज भी यह सच है कि बीमारी को पकड़ने के लिए तीन ही बातें मदद करती हैं. डॉक्टर, मरीज को अपनी पूरी ‘हिस्ट्री’ बताने का पर्याप्त समय दे, डॉक्टर जाने कि मरीज द्वारा बताए गए लक्षण तथा बीमारी का सिलसिलेवार ब्योरा ही बीमारी की तरफ इंगित करेगा तथा डॉक्टर सावधानीपूर्वक न केवल मरीज के पेट को हाथ लगाकर जांच करे बल्कि अपनी जांच के अंत में गुदाद्वार की जांच, औरतों का गायनी चेकअप तथा आदमियों की टेस्टीज (अंडकोष) की जांच भी अवश्य करें. परेशानी यह है कि डॉक्टर प्राय: इतना समय देते ही नहीं. हवा कुछ ऐसी चली है कि पहले अल्ट्रासाउंड वगैरह कराके आओ फिर हम बताते हैं.
फिर मरीजों की तरफ से यह कोताही आम है कि पेट की तकलीफ पर वह शुरुआत में तो ध्यान नहीं देता. स्वयं ही मान लेता है कि कल रात खाने में ऐसा हो गया था या परसों रात देर से खाना खाया था और इसी से यह सब हो रहा होगा. फिर भी ठीक न हो तो कुछ दिनों तक घरेलू उपचार होता रहता है. इसके बाद भी आराम न मिले तो ही वह डॉक्टर के पास जाने की सोचता है. फिर दस-बारह दिन सोचता है कि दिखाएं किसे? फिर डॉक्टरी जांचें. फिर रिपोर्टों के लिए भटकना. फिर रिपोर्टों का मोटा बंडल बन जाना और फिर भी कहीं नहीं पहुंच पाना.
पेट की बहुत-सी तकलीफें हैं. एक संवेदनशील डॉक्टर मरीज से बात करके और उसके पेट की जांच करके ही सटीक निदान खोज सकता है. इसमें डॉक्टर के अलावा मरीज की समझदारी का भी उतना ही रोल है. मैं आज पेट दर्द के बारे में आपकी समझदारी बढ़ाने की कोशिश करूंगा. बाकी आप वैसे भी समझदार हैं. और डर भी इसी बात का है कि कहीं आपकी यही समझदारी आपकी समझदारी बढ़ाने में आड़े न आए!
बहरहाल! जमाने में हल्ला दिल के दर्द का है, लेकिन पेट का दर्द भी कम नहीं. जिसको होता है वही जानता है. बल्कि यूं कह लें कि प्राय: तो वह भी नहीं जानता कि पेट दर्द किसी गंभीर जानलेवा बीमारी का संकेत भी हो सकता है. तेज पेट दर्द हो, अचानक ही हो जाए तब तो आदमी भागकर डॉक्टर के पास जाता ही है. कठिनाई तो हल्के-हल्के पेट दर्द में होती है या ऐसे तेज दर्द में जो कुछ समय के बाद हल्का हो गया हो. दोनों ही स्थितियों में आदमी सोचता है कि दर्द कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाएगा. वह पेट दर्द के अपने आप ठीक हो जाने की प्रतीक्षा करता है. वह इस बात की चिंता नहीं करता कि यह पेट दर्द हुआ क्यों? स्वयं ही मनबहलावन कयास लगाकर संतुष्ट हो जाता है. खाने में कुछ गड़बड़ हुआ होगा, पत्नी से कितनी बार कहा है पर खाने में वह इतने मसाले डालती है कि ठुकाई करने का मन करता है! गैस की समस्या है साली, शहर की पानी की सप्लाई ठीक नहीं है, वगैरह-वगैरह.
कुल मिलाकर पेट दर्द के लिए दिल बहलाने को फिर जो भी ख्याल गालिब को आ जाए, वही अच्छा लगता है. याद रहे कि पेट के अंदर इतना सारा अल्लम-गल्लम ईश्वर ने भर रखा है कि दर्द कहां से उठ रहा है वह पता करना डॉक्टर के लिए भी कठिन है. फिर पेट ही क्यों? पेट का दर्द तो छाती, मेरुदंड (स्पाइन), अंडकोष, नसों, पेट, पीठ या आसपास की अन्य मांसपेशियों में हो रही बीमारी से भी हो सकता है. निमोनिया, नीचे की तरफ (डायफ्राम में) होने वाली प्लूरिसी, पेट की मांसपेशियों में खून का थक्का (क्लॉट) या इन्फेक्शन, मेरुदंड की टीबी या उसमें बैठ गया कैंसर, ये बीमारियां भी पेट दर्द कर सकती हैं. बीमारी पेट से बाहर है, लेकिन दर्द पेट में हो रहा है. तो हल्का-हल्का दर्द भी हो तो डॉक्टर से सलाह लेना ही उचित होगा.
पेट दर्द तब और भी ध्यान मांगता है जब पेट दर्द के साथ नीचे दिए गए लक्षण भी दिख रहे हों :
– पेट दर्द है और वजन भी गिर रहा है
– पेट दर्द है और भूख कम या खत्म ही हो गई है
– पेट दर्द और बुखार भी रहता है
– पेट का दर्द है और पीठ की तरफ या पीछे (आगे) जांघों की तरफ जाता है
– पेट दर्द है और खाना एकदम कम हो जाता है या बढ़ जाता है
– पेट दर्द और माहवारी चढ़ गई है
– पेट दर्द और कमजोरी लगती है
– पेट दर्द और टट्टी काली आती है
– पेट दर्द है टट्टी में ताजा (लाल) खून दिखा था, थोड़ा सा भी दिखा था तो भी बेहद महत्वपूर्ण है
– पेट दर्द है और आजकल या बहुत दिनों से कब्जियत रहने लगी है या कभी कब्जियत और कभी दस्त! जैसी पहले होती थी, वैसी हाजत अब नहीं होती
– पेट दर्द है और हाथ पांव से ठंडा पसीना आ रहा है
– पेट दर्द होता है लेकिन उल्टी हो जाए तो ठीक हो जाता है
ऐसे ही अनेक तरह के पेट दर्द हो सकते हैं जो एक सक्षम डॉक्टर ही समझ सकता है. तो पेट दर्द हो रहा हो और उपर्युक्त तरह का हो तो कतई नजरअंदाज न करें. तुरंत डॉक्टर को दिखाएं, पर याद रखें कि डॉक्टर को पूरी हिस्ट्री स्पष्ट तौर पर विस्तार से दें. वह न पूछे, तब भी उसे उपरोक्त बातें अवश्य बताएं. दर्द थोड़ा-थोड़ा ही था लेकिन कब से था? खाना खाने से घटता है कि बढ़ता है, सांस लेने-खांसने-झुकने-दबाने से दर्द बढ़ता तो नहीं, भूख कैसी है, वजन तो नहीं गिर रहा – आदि बातें स्वयं ही बता दें. डॉक्टर जितना आपसे पेट दर्द के बारे में पूछेगा, उतना ही बीमारी को समझ पाएगा. ऐसा डॉक्टर पकड़ें जो आपकी सुने. जांचों का नंबर तो बहुत बाद में आता है. तो एक ही संदेश कि हल्के पेट दर्द को गंभीरता से लें.
>> Receive Satyagrah via email or WhatsApp
>> Send feedback to english@satyagrah.com