शून्य

Science-Technology | सिर-पैर के सवाल

शून्य एक सम संख्या है या विषम?

सवाल जो या तो आपको पता नहीं, या आप पूछने से झिझकते हैं, या जिन्हें आप पूछने लायक ही नहीं समझते

Anjali Mishra | 25 April 2021 | फोटो: पिक्साबे

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और एक गणितज्ञ जेम्स ग्रिम ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘आज भी लोग कन्फ्यूज हो जाते हैं कि जीरो एक सम संख्या है या विषम संख्या, जबकि सत्रहवीं सदी में ही इसकी समता (Parity) प्रमाणित हो चुकी है.’ शून्य से जुड़े इस कन्फ्यूज़न पर कभी न कभी आपने भी चर्चा सुनी ही होगी. दरअसल इस भ्रम के पीछे गणित का शुरुआती इतिहास है. शुरुआत में शून्य को एक अंक मानने के बजाय एक चिह्न माना गया था. बेबीलोन और ग्रीक सभ्यताओं में 0 का इस्तेमाल छोटी-बड़ी संख्याओं का फर्क पता करने के लिए किया जाता था, जैसे : 35 और 305.

शून्य का यह उपयोग आज भी है, लेकिन अब इसे एक अंक माना जाता है. यहां तक कि तेरहवीं सदी में इंडो-अरेबिक अंकों (आज इस्तेमाल किए जाने वाले अंक) को लोकप्रिय बनाने वाले इटैलियन गणितज्ञ फिबनॉची ने भी शून्य को चिह्न ही माना था और इसके बारे में कोई स्पष्ट राय नहीं दी थी. हम सबकी तरह गणितज्ञों की भी उपेक्षा का शिकार हुआ शून्य इसीलिए कभी-कभी हमें भ्रमित कर देता है. चलिए, सिर-पैर के सवाल में इस बार जानते हैं कि शून्य एक सम संख्या है या विषम.

गिनती में हर सम संख्या के बाद विषम संख्या आती है और हर विषम संख्या के बाद एक सम संख्या. इसे इस तरह भी कहा जा सकता है कि एक सम संख्या के पहले और बाद में विषम संख्याएं और एक विषम संख्या के पहले और बाद में सम संख्याएं होती हैं. इस हिसाब से शून्य के दोनों तरफ विषम संख्याएं मौजूद हैं. सो सम-विषम के क्रम के अनुसार यह एक सम संख्या हुई.

एक से ज्यादा अंकों वाली किसी संख्या की समता उसके आखिरी अंक से जानी जाती है. किसी संख्या का आखिरी अंक अगर सम है तो वह सम संख्या होती है और अगर विषम है तो वह विषम संख्या होती है. उदाहरण के लिए 128 और 3794 में आखिरी के अंक 8 और 4 हैं. ये सम अंक हैं इसलिए 128 और 3794 सम संख्याएं हुईं. लेकिन सम संख्या के बुनियादी सिद्धांत के मुताबिक 10, 20 या 30 को भी दो समान भागों में बांटा जा सकता है. यानी ये भी सम संख्याएं हैं. अब चूंकि एक से ज्यादा अंक वाली वे सभी संख्याएं सम होती हैं, जिनका आखिरी अंक सम हो तो फिर इस हिसाब से 10, 20 या 30 के सम संख्या होने का मतलब है कि शून्य एक सम अंक है.

अंक गणित का एक मूल सिद्धांत है कि दो सम संख्याओं को जोड़ने, घटाने या गुणा करने पर हमेशा एक सम संख्या मिलती है. इस हिसाब से 2+0=2, 2-0=2 होता है. अब चूंकि 2 एक सम संख्या है इसलिए भी शून्य एक सम संख्या हुई. इस तर्क को भी अगर उल्टा कर कुछ उदाहरणों पर गौर करें तो 2-2=0, 2*0=0 होता है, इस हिसाब से भी शून्य एक सम संख्या ही निकलती है. इसके अलावा अंकगणित के अनुसार दो विषम संख्याओं का अंतर भी हमेशा एक सम संख्या होता है, जैसे : 9-7=2. इस हिसाब से 3-3=0 भी सम संख्या होनी चाहिए. इस तरह कहा जा सकता है कि अंकगणित का मूल सिद्धांत ही कई तरह से यह साबित करने के लिए काफी है कि शून्य एक सम संख्या है.

थोड़ा और आगे बढ़कर देखें तो पता चलता है कि जीरो सबसे ज्यादा सम बल्कि अनंत बार सम है. अंकों की समता 2 से भाग देकर परखी जाती है. अगर किसी संख्या में एक बार भाग जाता है (जैसे : 14/2=7) तो यह सिंगल इवन या एक बार सम कहलाती है. दो या तीन बार भाग जाने पर (जैसे : 12/2=6/2=3 या 24/2=12/2=6/2=3) वह संख्या डबल इवन या ट्रिपल इवन कहलाती है. इस हिसाब से जीरो में अनंत बार 2 से भाग देने (0/2=0/2=0/2=0/2=0….) पर 0 ही मिलता है. इस तरह से जीरो न सिर्फ सम संख्या है, बल्कि सभी संख्याओं में सबसे ज्यादा सम संख्या कही जा सकती है.

>> Receive Satyagrah via email or WhatsApp
>> Send feedback to english@satyagrah.com

  • After all, how did a tribal hero Shri Krishna become our Supreme Father God?

    Society | Religion

    After all, how did a tribal hero Shri Krishna become our Supreme Father God?

    Satyagrah Bureau | 19 August 2022

    Some pages from the diary of a common man who is living in Bihar

    Politics | Satire

    Some pages from the diary of a common man who is living in Bihar

    Anurag Shukla | 15 August 2022

    Why does Pakistan celebrate its Independence Day on 14 August?

    World | Pakistan

    Why does Pakistan celebrate its Independence Day on 14 August?

    Satyagrah Bureau | 14 August 2022

    Could a Few More Days of Nehru’s Life Have Resolved Kashmir in 1964?

    Society | It was that year

    Could a Few More Days of Nehru’s Life Have Resolved Kashmir in 1964?

    Anurag Bhardwaj | 14 August 2022