समाज | सिर-पैर के सवाल

सुहाना कितना भी हो, सफर अगर लंबा है तो हमें नींद क्यों आने लगती है?

सवाल जो या तो आपको पता नहीं, या आप पूछने से झिझकते हैं, या जिन्हें आप पूछने लायक ही नहीं समझते

अंजलि मिश्रा | 30 जनवरी 2022

आपको कभी न कभी किसी ने यह सलाह जरूर दी होगी कि ड्राइवर की बगल की सीट पर बैठकर सोना नहीं चाहिए. किसी के बगल में बैठकर उबासियां लेने या सोने का क्या असर होता है, यह हम आपको इसी स्तंभ के एक आलेख में बता चुके हैं. लेकिन नींद से जुड़ा एक नया सवाल इस बार यह है कि आखिर कार, ट्रेन या विमान यानी किसी भी तरह से यात्रा करते हुए, कुछ समय बाद हमें नींद क्यों आने लगती है?

किसी वाहन या ट्रेन में बैठते ही नींद आने की पहली वजह ‘स्लीप डेब्ट’ बताई जाती है. अक्सर ऐसा होता है कि किसी सफर पर निकलने के लिए लोगों को जल्दी उठना पड़ता है, तो कई बार कहीं जाने की उत्सुकता या चिंता में भी पूरी और अच्छी नींद नहीं हो पाती. इस अधूरी नींद या स्लीप डेब्ट की भरपाई लोग सफर में सोते हुए करते हैं.

सफर में नींद आने की दूसरी वजह बोरियत को बताया जाता है. इस दौरान आमतौर पर आस-पास के गुजरते नजारे को देखने के अलावा यात्रियों के पास करने को कुछ खास नहीं होता इसलिए बोरियत होना लाजिम-सी बात है. इसके अलावा वाहन में बैठे हुए अपने आप को सुरक्षित महसूस करना और लंबे समय तक ही तरह के वातावरण में रहना, सोने की तैयारी किए जाने सरीखा एहसास दिलाता है. यानी ऐसे में दिमाग ठीक वैसा ही महसूस करता है जैसे बिस्तर पर लेटकर काफी देर तक छत को ताकने के बाद कर रहा होता है. कई बार लंबे सफर में ड्राइवर को भी नींद आने लगती है. इसे मनोविज्ञान की भाषा में ‘हाइवे हिप्नोसिस’ कहा जाता है. इससे बचने का सबसे बढ़िया उपाय किसी फिजिकल एक्टिविटी में लग जाना या दिलचस्प बातचीत करना है और ड्राइवर को तो केवल चाय या कॉफी ही इससे बचा सकती है.

चलते सफर में नींद आने की तीसरी और सबसे बड़ी वजह होती है, व्हाइट नॉइज. व्हाइट नॉइज, वह शोर होता है जो इंजन की आवाज, हवा गुजरने की सरसराहट और कभी-कभार गाड़ी में बजाए जाने वाले संगीत के आपस में मिलजुल जाने के कारण पैदा होता है. यह शोर और गतिवान वाहन के लगातार हिलते रहने से दिमाग कुछ आराम की अवस्था में आ जाता है. यह कुछ हद तक वैसा ही है, जैसे कोई छोटा बच्चा गोद में लेकर झुलाने और कुछ भी गुनगुना देने से शांत हो जाता है और सो जाता है. लेकिन ऐसा क्यों होता है, इस बात का पता अब तक नहीं चल सका है.

लंबे सफर में हर किसी को नींद आती है और यह बिल्कुल सामान्य बात है लेकिन अगर कोई 10-15 मिनट लंबी कार राइड में भी सो जाता है तो इसका मतलब है कि वह सोपाइट सिंड्रोम से ग्रस्त है. सोपाइट सिंड्रोम एक तरह की मोशन सिकनेस ही है, जहां व्यक्ति घबराहट या उबकाई महसूस करने के बजाय सोने लगता है.

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