Society | जन्मदिन

जब जेल में बंद सरदार पटेल के लिए महात्मा गांधी का एक बयान राहत लेकर आया था

किस्सा तब का है जब दांडी मार्च की तैयारी के दौरान गिरफ्तार सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ औपनिवेशिक सरकार की पुलिस दुर्व्यवहार कर रही थी

अव्यक्त | 31 October 2021

मार्च, 1930 में हुए गांधीजी के नमक सत्याग्रह या दांडी मार्च की तैयारी के दौरान एक कथित भड़काऊ भाषण के आरोप में सरदार पटेल को गिरफ़्तार कर लिया गया. औपनिवेशिक सरकार की पुलिस ने जेल में सरदार के साथ दुर्व्यवहार भी किया.

इस घटना पर 12 मार्च, 1930 के ही दिन गांधीजी ने जेल में किसी भी कैदी के साथ दुर्व्यवहार पर यह तीखी टिप्पणी की थी-

‘…सरदार कहां और किस हालत में हैं. वे एक काल-कोठरी में हैं— वैसी ही काल कोठरी जैसी कि आमतौर पर होती है. वहां कोई रोशनी नहीं है. उन्हें बाहर सोने की सुविधा नहीं है.

उन्हें जो खाना दिया जा रहा है, उससे उन्हें पेचिश होने की संभावना है, क्योंकि भोजन में तनिक सी गड़बड़ी होने से ही उन्हें यह बीमारी हो जाती है. उन्हें धार्मिक पुस्तकों के अलावा और कोई पुस्तक देने की मनाही है. एक सत्याग्रही की हैसियत से वे विशेष व्यवहार की अपेक्षा नहीं रखते.

लेकिन किसी साधारण से साधारण अपराधी को भी, यदि उससे सुरक्षा को कोई खतरा न हो, तो ऐसी गर्मी के मौसम में खुले आकाश के नीचे सोने की इजाजत क्यों नहीं दी जानी चाहिए?

यदि किसी जरायमपेशा व्यक्ति को भी पढ़ने-लिखने के लिए रोशनी की जरूरत हो, तो उसके लिए उसका प्रबंध क्यों नहीं किया जाना चाहिए?

क्या किसी हत्यारे को भी कुछ पढ़कर अपने अन्दर सुबुद्धि जगाने से रोकना उचित है?…लेकिन यह तो जेल-व्यवस्था में सुधार का सवाल है. सरदार वल्लभभाई ऐसे व्यक्ति नहीं हैं कि अगर उन्हें मनुष्य के लिए आवश्यक सुख-सुविधाओं से वंचित रखा जाएगा, तो उनका हौसला टूट जाएगा.

क्या विद्वान पत्रकार और नाटककार श्रीयुत खाडिलकर को अभी कुछ ही दिन पहले इसी प्रकार के दुर्व्यवहार का शिकार नहीं होना पड़ा? भारतीय जेलों में भद्दा और अशोभन व्यवहार करके सत्याग्रह की भावना को खत्म नहीं किया जा सकता.’

गांधीजी के इस वक्तव्य के तुरंत बाद सरदार के साथ जेल में अच्छा व्यवहार शुरू कर दिया गया. जरूरी साहित्य और साफ-सुथरा भोजन मिलना शुरू हो गया.

आजकल ऐसा होता है कि नहीं यह कह नहीं सकते. कुछ समय पहले भारत के विधि आयोग ने संयुक्त राष्ट्र संघ के एक कन्वेंशन के आधार पर भारत सरकार से सिफारिश की है कि जो भी लोकसेवक हिरासत में यातना के दोषी पाए जाएं, उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिले.

कुछ समय पहले एक रिपोर्ट आई थी कि 2010 से 2015 के दौरान भारतीय पुलिस की हिरासत में 591 विचाराधीन कैदियों की मौत हो गई. इनमें से कुछ मौतें स्वाभाविक भी हो सकती हैं, लेकिन बाकी मौतों के बारे में क्या कहेंगे?

देश के पहले गृहमंत्री और सत्याग्रह के दौरान पुलिस हिरासत में खुद उत्पीड़न के शिकार सरदार पटेल की जन्मदिन के अवसर पर बाकी सरकारी तामझाम के साथ-साथ क्या इसपर भी चर्चा नहीं होनी चाहिए?

>> Receive Satyagrah via email or WhatsApp
>> Send feedback to english@satyagrah.com

  • After all, how did a tribal hero Shri Krishna become our Supreme Father God?

    Society | Religion

    After all, how did a tribal hero Shri Krishna become our Supreme Father God?

    Satyagrah Bureau | 19 August 2022

    Some pages from the diary of a common man who is living in Bihar

    Politics | Satire

    Some pages from the diary of a common man who is living in Bihar

    Anurag Shukla | 15 August 2022

    Why does Pakistan celebrate its Independence Day on 14 August?

    World | Pakistan

    Why does Pakistan celebrate its Independence Day on 14 August?

    Satyagrah Bureau | 14 August 2022

    Could a Few More Days of Nehru’s Life Have Resolved Kashmir in 1964?

    Society | It was that year

    Could a Few More Days of Nehru’s Life Have Resolved Kashmir in 1964?

    Anurag Bhardwaj | 14 August 2022