सुशांत सिंह राजपूत के इस ऑडियो से यह अंदाजा भी लग जाता है कि उनके पास कितनी संपत्ति थी और रिया चक्रवर्ती उनके बारे में क्या सोचती हैं
सत्याग्रह ब्यूरो | 01 सितंबर 2020 | फोटो: फेसबुक/सुशांत सिंह राजपूत
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की कानूनी जांच चल रही है और इस पर चलने वाला मीडिया ट्रायल भी बदस्तूर जारी है. बीते कुछ महीनों में समाचार चैनलों पर होने वाली न्यूज डिबेट्स में इसे बॉलीवुड में पसरे नेपोटिज्म से लेकर राजनीतिक गलियारों में चलने वाली साजिशों तक से जोड़ने की कोशिश की जा चुकी है. पिछले दिनों सुशांत की पार्टनर और फिल्म अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती कुछ समाचार चैनलों को इंटरव्यू देकर इन चर्चाओं का रुख थोड़ा बदलती दिखाई दी थीं. और, अब इस मामले में एक ऑडियो क्लिप चर्चा बटोरती दिख रही है. ऑडियो क्लिप में सुशांत सिंह राजपूत अपने आर्थिक और कानूनी सलाहकारों के साथ चर्चा करते सुनाई देते हैं. और अगर यह ऑडियो सच्चा है तो यह बातचीत सही मायनों उनसे जुड़े कई खुलासे करती है. इस बातचीत में रिया चक्रवर्ती, रिया के पिता इंद्रजीत चक्रवर्ती, सुशांत की वकील प्रियंका खेमानी, मैनेजर श्रुति मोदी और कुछ सलाहकारों के शामिल होने की बात कही जा रही है.
सुशांत सिंह राजपूत के मामले से जुड़ी बेहद महत्वपूर्ण जानकारियां देने वाली इस ऑडियो क्लिप पर मीडिया के एक हिस्से, खास कर टीवी चैनलों का रवैया चौंकाने के साथ-साथ बेहद निराश करने वाला भी है. ऑडियो क्लिप के हवाले से बार-बार कहा गया है कि यह सच सामने लाने वाली है लेकिन वह सच क्या है इसे सुनाने-बताने का धैर्य शायद ही कोई बरतता दिखा. इस ऑडियो क्लिप से जुड़ी मीडिया रिपोर्टों को देखकर लगता है, जैसे समाचार चैनलों का ध्यान सिर्फ इस बात पर ही था कि कैसे इसे सुशांत के मामले में जो अब तक चलता रहा है उसी में फिट कर दिया जाए.
ज्यादातर मीडिया ने रिया चक्रवर्ती के इस बातचीत में हिस्सा लेने को इस तरह से पेश किया कि वे सुशांत और उनके वित्तीय मामलों को कंट्रोल करने की कोशिश करती थीं. कहा गया कि इस क्लिप में रिया सुशांत की बहनों का मजाक उड़ा रही थीं. कई चैनल इस बातचीत में सुशांत के परिजनों की अनुपस्थिति में भी साजिश खोजते दिखाई दिए. और ज्यादातर के लिए यह रोज़ की तरह दस लोगों को इकट्ठा कर शोरगुल और इमोशनल ड्रामे से भरी बहस का जरिया भर बन सकी.
यह अजीब है कि समाचार चैनल बार-बार यह पूछते तो दिखाई देते हैं आखिर क्यों सुशांत सिंह राजपूत एक ट्रस्ट बनाना चाहते थे? या क्यों वे मुंबई छोड़कर जाना चाहते थे? या रिया चक्रवर्ती इस मीटिंग में क्यों शामिल थीं? लेकिन इसी क्लिप में छिपे इन सवालों के जवाब टटोलने से वे या तो चूक जाते हैं या शायद वे उन्हें जान-बूझकर नज़रअंदाज कर देते हैं. अगर वे जोर-जोर से चीखने के बजाय इसमें मौजूद सुशांत सिंह राजपूत की धीमी-कमजोर आवाज को ध्यान से सुनते तो उन्हें समझ में आ जाता कि सुशांत किस बीमारी से पीड़ित थे? उनकी आर्थिक और मानसिक हालत कैसी थी? और रिया चक्रवर्ती इस बैठक में असल में क्या करने की कोशिश कर रही थीं? आइये इन तीनों बातों को दो टीवी चैनलों – इंडिया टीवी और आज तक – के दो वीडियो में मौजूद ऑडियो क्लिप्स के जरिये एक-एक कर समझने की कोशिश करते हैं. इन वीडियोज़ को इस लेख के अंत में देखा जा सकता है.
सुशांत सिह राजपूत बाइपोलर डिसॉर्डर से पीड़ित थे
मीडिया के एक हिस्से ने यह तो माना कि इस ऑडियो क्लिप से यह पता चलता है कि वे मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं थे लेकिन वह यह बताने से चूक गया कि वे बाईपोलर डिसॉर्डर से जूझ रहे थे. इसकी वजह शायद यह थी कि इस बात को जिस तरह से सुशांत ने इस ऑडियो क्लिप में कहा है उसे समझना थोड़ा सा (बहुत नहीं) मुश्किल था. और ऊपर से इस ऑडियो क्लिप को टुकड़े-टुकड़े कर सुनाने वाले न्यूज चैनल शायद बहुत जल्दी में रहे होंगे इसलिए वे सुशांत सिंह राजपूत के मुंह से ही यह सुनने और अपने दर्शकों को सुनाने से चूक गये कि उन्हें बाइपोलर डिसॉर्डर है. इन्हीं क्लिप्स के बाकी हिस्सों से भी यह साफ है कि इस साल की शुरुआत यानी जनवरी 2020 में उनकी मानसिक स्थिति काफी गंभीर थी. लेकिन ज्यादातर मीडिया ने इसे इस तरह से दिखाया जिससे सुशांत के उन प्रशंसकों को ठेस न पहुंचे जो उनकी खराब मानसिक अवस्था और मृत्यु के लिए फिलहाल मुख्य तौर पर रिया चक्रवर्ती को दोषी ठहरा रहे हैं.
इन क्लिप्स के बारे में बात करने से पहले थोड़ा सा बाइपोलर डिसॉर्डर के बारे में जान लेते हैं. दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित और सबसे पुराने चिकित्सा संस्थानों में से एक मेयो क्लीनिक के मुताबिक ‘बाईपोलर डिसॉर्डर जिसे पहले मैनिक डिप्रेशन भी कहा जाता था वह मानसिक रोग है जिसकी वजह से (इससे पीड़ित व्यक्ति में) ‘एक्सट्रीम मूड स्विंग्स’ (चरम मानसिक बदलाव) होते हैं.’ मेयो क्लीनिक के मुताबिक इसकी वजह से कोई व्यक्ति कभी बहुत ज्यादा ऊर्जा, प्रसन्नता या मेनिया की स्थिति में होता है और कभी बिलकुल निराशा या डिप्रेशन की स्थिति में चला जाता है. और बाइपोलर डिसॉर्डर की वजह से लोगों की नींद, ऊर्जा, कार्यक्षमता, साफ-साफ सोचने-समझने की क्षमता और उनके व्यवहार पर असर पड़ सकता है.
अब आते हैं सुशांत सिंह राजपूत और रिया चक्रवर्ती से जुड़े ऑडियो क्लिप पर. इसके एक हिस्से में उनका फाइनेंशियल एडवाइजर यह कहता सुनाई देता है कि वे (सुशांत सिंह राजपूत) अपने धन के प्रबंधन को लेकर एक दिन पहले उन्हें ‘वर्स्ट केस सिनेरियो’ की तरह सोचने के लिए कह रहे थे. इस पर सुशांत सिंह राजपूत अपनी खराब मानसिक दशा का जिक्र करते हुए कहते हैं, ‘हियर आई एम फाइटिंग माइ माइंड सो दैट्स प्रोबेबली द वर्स्ट केस आई कैन एवर सी.’ (इस मामले में मैं अपने दिमाग से लड़ रहा हूं, इसलिए शायद यह सबसे बुरी स्थिति है जिससे मेरा कभी सामना हो सकता है. (इंडियाटीवी 5.23-5.28)
इसके बाद सुशांत वह बात कहते हैं जो इस मुद्दे पर उठे पूरे हंगामे में गायब दिखती है. वे मानते हैं कि उन्हें बाइपोलर डिसॉर्डर है. सुशांत कहते हैं, ‘वी हैव सीन केसेज व्हेयर इट हैज आलवेज बीन अ पार्ट ऑफ लाइफस्टाइल. दिस बाइपोलर. सो इन दैट स्टेट आई डोंट थिंक ऐक्टिंग इज समथिंग आई वुड बी एबल टु डू, नंबर वन. नंबर टू, आई डोन्ट स्टिल नो विच आर द अदर इकनॉमिक फैक्टर्स आई कैन गेट इनटू. सो इन सम सॉर्ट ऑफ अ वे, आई मीन इट्स लाइक फिफ्टी-फिफ्टी. इट्स नॉट दैट वी कैन बी कॉन्फिडेंट दैट आई कैन कम बैक. (इंडियाटीवी 7.21-7.52)
(हमने ऐसे भी मामले देखे हैं जिनमें यह हमेशा के लिए जिंदगी का हिस्सा हो जाता है. ये बाइपोलर. अगर ऐसा हुआ तो मैं जिंदगी भर एक्टिंग नहीं कर पाऊंगा, पहली बात. दूसरी बात, आर्थिक लिहाज से भी मुझे कुछ पता नहीं. एक लिहाज से ये फिफ्टी-फिफ्टी है. मुझे पक्के तौर पर पता नहीं कि मैं वापस आ सकूंगा.’
इस पर सुशांत से कहा जाता है कि वे अपने आप ही इन नतीजों पर पहुंच रहे हैं. इसका जवाब देते हुए सुशांत कहते हैं, ‘ऑल द डॉक्टर्स एंड एवरीथिंग वी हैव बीन डिस्कसिंग लास्ट टू मंथ्स टू ओवरकम दिस हैव सेड दैट.’ (पिछले दो महीनों के दौरान इस समस्या से निपटने के लिए हम जिन भी डॉक्टरों से मिले हैं, उन्होंने भी यही कहा है.) (इंडियाटीवी 7.56-8.03)
इससे संकेत मिलता है कि सुशांत इस बात को लेकर बिल्कुल निश्चित थे कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. इस ऑडियो में वे यह भी कहते हैं कि वे शहर छोड़कर किसी छोटी जगह पर बसना चाहते हैं. सुशांत कहते हैं कि उन्हें मुंबई छोड़कर किसी हरी-भरी और शांत शांत जगह जैसे गोवा जाने या फिर पावना में रहने में भी कोई दिक्कत नहीं है.’ (इंडियाटीवी 3.14-3.25)
सुशांत यह भी कहते हैं कि इन दिनों वे मुश्किल से ही अपने कमरे से बाहर निकलते हैं, (आज तक 7.08-7.12). इसके बाद शायद उनके सीए उनसे कहते हैं कि जीवन बहुत लंबा है और उन्हें काम पर लौटने का लक्ष्य तय करना ही होगा. इस पर सुशांत कहते हैं, ‘ दैट्स वॉट आई एम सेइंग. सो आई विल हैव माई इंटेलेक्चुअल क्यूरियॉसिटी टू टेक केयर ऑफ. बट नॉट इन टर्म्स ऑफ एनी इकनॉमिक कमिटमेंट. बिकॉज दिस काइंड ऑफ फ्रेम ऑफ माइंड, लाइक वन डे आई फील समथिंग एंड सेकेंड डे आई फील समथिंग एल्स अबाउट वर्क. सो आई कैन नॉट बी वेस्टिंग अदर्स टाइम, एट ऑल. (आज तक 7.23-7.40)
(वही मैं भी कह रहा हूं. ये मुझे अपनी खुशी के लिए करना है. पैसों के लिए नहीं. क्योंकि मेरी दिमागी हालत वैसी नहीं है. एक दिन मैं कुछ सोचता हूं और दूसरे दिन में काम के बारे में कुछ और सोचता हूं. मैं दूसरों का वक्त बर्बाद नहीं कर सकता.’
सुशांत यह इच्छा भी जाहिर करते हैं कि अब उनके पास जो भी पैसा है उसे बचा लिया जाए. वे कहते हैं ‘एट दिस प्वाइंट ऑफ टाइम आई जस्ट वांट लाइक अ रिक्वेस्ट, एज ए फेवर, दैट हाउ शुड वी जस्ट क्लोज आल द, सेव आल द मनी.(इस समय मैं ये मदद चाहता हूं कि हम जो भी सेविंग है उसे किस तरह सुरक्षित करें.) (इंडियाटीवी 5.8-5-14)
एक जगह रिया चक्रवर्ती कहती हैं कि सुशांत अपने भविष्य के बारे में चिंतित हैं और वे एक तरह की सुरक्षा चाहते हैं. इस पर सुशांत इच्छा जाहिर करते हैं कि वे रिटायरमेंट प्लान चाहते हैं. वे कहते हैं, ‘आई एम सेइंग लेट्स टेक इट एज अ, समथिंग लाइक अ रिटायरमेंट थिंग…सो हाउ विल आई डू इट. आई जस्ट वांट हेल्प. (इंडियाटीवी 9.56-10.04) (मैं कह रहा हूं कि इसे रिटायरमेंट प्लान की तरह देखते हैं… तो मैं ये कैसे करूं, बस मुझे इसमें मदद चाहिए.’
अब अगर इन न्यूज चैनलों पर दिखाई गईं ये ऑडियो क्लिप सही हैं तो ऊपर लिखी बातों से यह साफ है कि सुशांत सिंह राजपूत बाइपोलर डिसॉर्डर से गंभीर रूप से पीड़ित थे. वे न केवल इन क्लिप्स में से एक में इसे खुद स्वीकार कर रहे हैं बल्कि उनकी बाकी बातों से भी यही लगता है. वे कई डॉक्टरों से मिलने के बाद फिल्मों की दुनिया छोड़ने पर विचार कर रहे थे और खुद ही अपने मूड स्विंग्स के बारे में भी बता रहे थे. इन ऑडियो क्लिप्स को पूरा सुनने पर यह भी पता चलता है कि सुशांत इस साल जनवरी में इस हालत में भी नहीं थे कि टाइटन का एक दिन का शूट तब भी कर सकें जब उन्हें जितने हो सकें उतने पैसों की जरूरत थी (इंडियाटीवी 12:20-13:15).
सुशांत सिंह राजपूत के बारे में जो बातें सामने आई हैं उनमें से एक यह भी है कि उनकी मां भी किसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त थीं. रिया चक्रवर्ती ने कुछ समय पहले अपने एक साक्षात्कार में यह कहा था और सुशांत की बहन श्वेता सिंह भी सोशल मीडिया पर इस बारे में लिख चुकी हैं. हालांकि कथित तौर पर उन्होंने बाद में अपनी इस पोस्ट को डिलीट कर दिया.
बाइपोलर डिसॉर्डर के सबसे प्रमुख कारणों में से एक के बारे में मेयो क्लीनिक कहता है कि ‘बाइपोलर डिसॉर्डर उन लोगों को ज्यादा होता है जिनका कोई बहुत करीबी रिश्तेदार जैसे कि भाई-बहन या माता-पिता आदि’ इस मानसिक समस्या से पीड़त हों या रहे हों.’
इसके अलावा मेयो क्लीनिक बहुत साफ-साफ यह भी कहता है कि ‘बाइपोलर डिसॉर्डर से पीड़ित व्यक्ति के मन में आत्महत्या का विचार आना और उनका ऐसा करना एक आम बात है.’ लेकिन सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचना उचित जांच संस्थाओं का काम है, मीडिया या सुशांत सिंह राजपूत के प्रशंसकों का नहीं.
जनवरी 2020 में सुशांत सिंह राजपूत के पास करीब 8-10 करोड़ रुपये ही रहे होंगे
सुशांत सिंह राजपूत आर्थिक अनिश्चितताओं से गुजर रहे थे यह इस ऑडियो में कई बार महसूस होता है. मसलन उन्हें यह बताया जाता है कि अभी संपत्तियां बेचने की नौबत नहीं आई है और वे एक-दो महीने इंतजार कर सकते हैं. उनसे हल्के-फुल्के अंदाज में यह भी कहा जाता है कि अब वे नई कार खरीदने का ख्याल तो छोड़ ही दें. इस पर सुशांत कहते हैं, ‘वी हैव टु स्टॉप स्पेंडिंग ऐज सून ऐज पॉसिबल’. (हमें जितनी जल्दी हो सके, हाथ रोकना होगा.) (इंडियाटीवी 1.26-1.32)
सुशांत की वित्तीय मुश्किलों का अंदाजा दूसरी बार तब होता है जब उन्हें यह बताया जाता है कि उनके पास दो कार्ड हैं जिनमें एक की लिमिट 50 हजार है और दूसरी की पांच लाख. इसके बाद सुशांत कहते हैं, ‘वाट कैन वी डू टू जस्ट एनश्योर दैट आई स्टॉप स्पेंडिंग मनी.’ हम ये सुनिश्चत करने के लिए क्या कर सकते हैं कि मैं (फालतू) खर्च करना बिल्कुल बंद कर दूं? (इंडियाटीवी 2.13-2.18)
इस पर एक शख्स (संभवत: उनका सीए) कहता है, ‘हमारे पास आपके महीने के खर्चों की एक लिस्ट है जिसमें घर से लेकर स्टाफ और कार तक हर चीज शामिल है. अभी जितने पैसे हैं, अगर मान लें कि आगे कोई कमाई नहीं होती है तो उनसे इस तरह के खर्चे चलाना बहुत मुश्किल बल्कि नामुमकिन है. तो जो भी खर्चे तुरंत खत्म किए जा सकते हैं खत्म करने होंगे और पैसा बचाना शुरू करना होगा.’ (इंडियाटीवी 2.18-2.40).
सुशांत सिंह राजपूत की आर्थिक स्थिति का संकेत तीसरी बार तब मिलता है जब उनसे यह कहा जाता है कि अगर पैसे को लेकर ज्यादा मुश्किल हो रही है तो वह घर भी तुरंत छोड़ा जा सकता है जिसमें वे अभी रह रहे हैं. रिया कहती हैं कि अभी सबसे पहला काम जो पैसा निवेश किया है उसका हिसाब करना है. इस पर सुशांत तुरंत कहते हैं, ‘सो दैट आई नो दैट दिस इज द अमाउंट आई एम गेटिंग. (ताकि मुझे पता चल सके कि मुझे इतना पैसा (हर महीने) मिलेगा)’
सुशांत को यह भी बताया जाता है कि उनके पास जो भी पैसा है, उससे हर महीने ब्याज आदि के रूप में कितनी कमाई हो सकती है. उनके सीए कहते हैं, ‘टैक्स काटकर आपको हर महीने करीब पांच लाख रु मिल सकते हैं. आप ज्यादा रिटर्न चाहते हैं तो जोखिम भी बढ़ जाएगा.’ (आज तक 40.05-40.28)
थोड़ी ही देर बाद सुशांत कहते हैं, ‘आई कैन लैट गो दीज फैंसी कार्स दैट आई हैव गॉट (मैं ये फैंसी कारें भी बेच सकता हूं जो मेरे पास हैं.)’ इस पर उनके सीए कहते हैं कि इससे पैसे का नुकसान ही होगा. रिया भी कहती हैं कि इतनी जल्दबाजी में फैसले लेने की जरूरत नहीं है. (आज तक 40.45-41.00)
अगर पांच लाख हर महीने के और मौजूदा दौर में सबसे कम जोखिम वाले निवेश यानी फिक्स डिपॉजिट की सबसे आकर्षक दरों (7.50 फीसदी) को देखें तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुशांत के पास इस बातचीत के वक्त करीब आठ से दस करोड़ रु तक की परिसंपत्तियां ही रही होंगी. उधर, सुशांत के पिता का आरोप है कि रिया ने उनके बेटे के खातों से 15 करोड़ रु हड़प लिये.
रिया चक्रवर्ती इस बैठक में क्या कर रही थीं?
बैठक के दौरान रिया चक्रवर्ती कहती सुनाई देती हैं कि ‘आई विल टेल यू. आई हैव डेफिनिटली वॉन्टेड इट इन अ वे दैट इफ फॉर एग्जाम्पल टुमॉरो आइ एम नॉट देयर ऑर श्रुति इज नॉट देयर, मिरांडा इज नॉट देयर. एंड देयर आर न्यू पीपल हू आर जस्ट देयर. इफ समवन गेट्स हिज कार्ड. फर्स्टली द फर्स्ट थिंग, आई टोल्ड हिम इज टू स्टार्ट मेकिंग एवरीथिंग इन एफडी’ज. सो इन द कार्ड देयर शुड नॉट बी मोर दैन 10-15 लाख ऐट एनी गिवन पॉइंट. दैट्स वन थिंग.
सेकंड थिंग इज दैट दैट द मनी ही हैज… सो दैट वी कैन गेट सम इंटरेस्ट फ्रॉम इट, सो ही डजन्ट स्टार्ट ईटिंग इनटू हिज सेविंग्स इन द बेस्ट केस पॉसिबल यू ऑल कैन कम अप विद. ऐंड टू सेफगार्ड हिज़ मनी इन अ वे व्हेयर ओन्ली… विदाउट हिज़ सिग्नेचर नथिंग कैन हैपन. लाइक टू ब्रेक एन एफडी.’
मैं आपको बताती हूं कि मैं (पैसों का प्रबंधन) कुछ इस तरह चाहती हूं कि अगर कल को मैं वहां ना होऊं, या श्रुति और मिरांडा ना हों. और, वहां कुछ नए लोग हैं. ऐसे में अगर किसी और को इनका कार्ड मिलता है… तो सबसे पहले तो मैं इन्हें फिक्स्ड डिपॉडिट में पैसे रखने के लिए कह रही हूं… इसलिए कार्ड में किसी भी समय पर 10-15 लाख से ज्यादा रुपए नहीं होंगे. यह पहली बात है.
दूसरी बात यह है कि ये जो पैसा इनके पास है. उससे कुछ इंटरेस्ट मिल सके जिससे इनकी बचत खर्च नहीं हो. इसी का बेस्ट प्लान आपको बनाना है. और, इनके पैसों को कुछ इस तरह सुरक्षित रखना है कि कोई भी बिना इनके दस्तखत के, उन्हें निकाल ना सके. मतलब एफडी नहीं तोड़ सके. (इंडियाटीवी 8.07-8.48)
रिया चक्रवर्ती के इन शब्दों को अगर बिना किसी पूर्वाग्रह के सुना जाए तो यह मानना मुश्किल लगता है कि वे सुशांत सिंह राजपूत की शुभचिंतक नहीं थीं. कोई भी व्यक्ति, जिसे लगे कि उसका कोई करीबी भविष्य में मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम हो सकता है, शायद उसके लिए कुछ-कुछ ऐसे ही इंतजाम करना चाहेगा.
सुशांत सिंह राजपूत की मानसिक और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए रिया चक्रवर्ती उन्हें मुंबई छोड़कर जाने में जल्दबाज़ी न करने की सलाह भी देती हैं. सुशांत सिंह बार-बार जब खर्चे रोकने की बात कहते हैं तो रिया जवाब देती हैं कि ‘देयर आर नो अदर एक्सपेंसेज बट द हाउस फंक्शनिंग एंड द स्टॉफ कॉस्ट्स. व्हिच, आई टोल्ड हिम फॉर वन ऑर टू मंथ्स लेट इट बी एज इट इज. टिल यू गाइज कम अप विद अ प्लान एंड टिल ही इज सर्टेन दैट दिस इज नॉट अ फेज़ बट दिस इज ओन्ली हाउ ही फील्स नाउ ऐंड इट्स नॉट फंक्शनल एट ऑल. वी विल गिव दैट वन-टू मंथ्स एंड देन वी कैन स्टार्ट डिस्पोजिंग ऑफ असेट्स एंड रिड्यूसिंग स्टॉफ.’
घर चलाने और स्टाफ के अलावा और कोई खर्चे नहीं हैं. जिसके बारे में मैंने इन्हें कहा है कि एक-दो महीने इसे ऐसा ही रहने दो. तब तक आप लोग (इकॉनमिक एडवाइजर्स) कोई प्लान बना लोगे और सुशांत ये तय कर लेंगे कि यह कोई फेज़ (अस्थायी स्थिति) नहीं है अब आगे इन्हें ऐसा ही (रिटायरमेंट प्लान के मुताबिक काम) करना है और अभी जो है, वह ठीक नहीं है. हम इसे एक-दो महीने और देते हैं. उसके बाद एसेट्स को बेचना और स्टाफ को कम करना शुरू कर देंगे. (इंडियाटीवी 11:50-12:20)
यहां पर रिया की कही बातों पर गौर करें तो लगता है कि वे सुशांत के बारे में सावधानी से सोच रही थीं और उनकी मनोदशा के मुताबिक ही किसी फैसले पर अपनी राय दे रहीं थी. घर और स्टाफ को लेकर अचानक बड़े बदलाव न करने के लिए सुशांत को समझाना यहां बिलकुल ठीक सलाह लगती है. क्योंकि सुशांत खुद ही एक जगह अपनी बीमारी का जिक्र करते हुए कहते हैं कि वे एक दिन कुछ कहते हैं तो दूसरे दिन कुछ और. यानी, किसी भी बात को लेकर कुछ दिनों बाद उनका रुख बदल जाने की संभावना काफी ज्यादा थी. ऐसे में रिया अगर अगर यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही हैं कि अगर सुशांत का कुछ समय बाद मन बदल जाये तो उन्हें परेशानी न हो तो इसमें गलत क्या हो सकता है?
बातचीत का यह हिस्सा रिया पर लगाए गए कुछ आरोपों के बारे में भी कुछ कह देता है. सुशांत सिंह राजपूत के स्टाफ का हिस्सा रहे कई लोगों का कहना था कि रिया चक्रवर्ती ने उन्हें उनकी नौकरी से निकाल दिया. जबकि ऑडियो पर गौर करें तो इसमें रिया ही उन्हें बचाती हुई दिखाई देती हैं. बातचीत के दौरान कई बार लगता है कि सुशांत जल्दी से जल्दी अपने रिटायरमेंट प्लान को अमल में आते देखना चाहते थे जबकि रिया उन्हें बार-बार कुछ समय के लिए रुकने की सलाह देती हैं और इसमें स्टाफ की छंटनी को टाले जाने की बात भी शामिल है.
इस बातचीत में सुशांत सिंह राजपूत की ज़िंदगी में रिया चक्रवर्ती के परिवार की भूमिका का भी थोड़ा अंदाज़ा मिल जाता है. सुशांत के कुछ बकाया प्रोजेक्ट्स और विज्ञापनों पर हुई बातचीत के दौरान थोड़े और पैसे जोड़ लेने की वाजिब सलाह देते हुए वे कहती हैं, ‘आई वाज टेलिंग हिम. मेक हे व्हाइल दिस मंथ, हियर एंड देयर, व्हाटएवर फ्यू एंडोर्समेंट्स, एटलीस्ट डू इट. ऐड मोर टू द किटी.’
मैं इन्हें कह रही थी. इस महीने जो भी कुछ विज्ञापन हैं कर लो. थोड़े और पैसे आ जाएंगे. (इंडियाटीवी 12:55-13:12)
लेकिन यहां पर एक आवाज आती है जो रिया के पिता इंद्रजीत चक्रवर्ती की आवाज लगती है, वे कहते हैं कि ‘बट ही शुड बी एबल टु डू इट ना.’ (लेकिन वे यह करने के लायक भी तो होने चाहिए.) इस पर रिया भी सहमति जताती हैं और यह कहती हैं कि हां, यह सुशांत का ही फैसला होगा कि वे इन्हें करना चाहते हैं या नहीं.
इसी तरह जब सुशांत मुंबई छोड़कर किसी दूसरी जगह बसने की चर्चा कर रहे होते हैं तो रिया कहती हैं कि ‘देयर इज अ थॉट दैट गोआ मे बी बट डैड सजेस्टेड बी इन पावना फॉर समटाइम. सी दैट, देन फर्स्ट सी गोआ. गिव इट लाइक वन ऑर टू मंथ बिफोर वी फाइनली डिसाइड इट.’
यह भी सोचा कि गोआ जाते हैं लेकिन डैड ने कहा कि कुछ समय पावना में रहो. वहां देखो. उसके बाद पहले गोआ को देखना. आखिरी फैसला लेने के पहले एक-दो महीने देख लो. (इंडियाटीवी 9:00-9:30)
इन बातों के बीच (9:20 पर) उनके पिता फिर कहते हैं कि आई टोल्ड हिम. गिव इट 5-6 मंथ्स हियर बिकॉज यू हैव द प्लेस. देन यू गो टू गोआ एंड सी इफ यू वॉन्ट.’ (मैंने इनसे कहा कि उसे 5-6 महीने का समय दो क्योंकि तुम्हारे पास वहां (पावना में) रहने के लिए जगह है ही. उसके बाद अगर तुम चाहते हो तो गोआ जाकर देख लो.) इसके बाद पावना और गोआ में रहने पर आने वाले खर्चों पर चर्चा होती है. इस पूरी बातचीत में महज एक या दो बार बोलने वाले इंद्रजीत चक्रवर्ती जब भी बोलते हैं, उनकी सलाह भी पैसे बचाने के लिए की जा रही इस कवायद की दिशा में ही जाने वाली लगती है.
इस ऑडियो क्लिप्स में रिया चक्रवर्ती की बातचीत को ज्यादातर लोग उन अफवाहों की पुष्टि की तरह देख रहे हैं जिनमें कहा गया था कि रिया, सुशांत सिंह राजपूत से जुड़ी तमाम चीजों को नियंत्रित करती थीं. सोशल मीडिया में आई तमाम टिप्पणियों में सुशांत की धीमी आवाज़ को लेकर कहा जा रहा है कि रिया उन्हें दवाइयां दे रहीं थीं. इसके साथ ही रिया पर लगातार इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं कि अकेला पाकर उन्होंने सुशांत का शोषण किया है.
तमाम तरह की कॉन्सपिरेसी थ्योरीज के बीच कुछ सवाल हैं जिनके जवाब शायद अब टटोले जाने चाहिए, मसलन – अगर रिया, सुशांत की प्रेमिका न होकर उनकी पत्नी होतीं तो भी क्या उन्हें इस तरह की बातों में शामिल होने के लिए इतनी ही संदेहास्पद नज़रों से देखा जाता? क्या केवल प्रेमिका होने की वजह से उन्हें सुशांत के आर्थिक हितों से जुड़ी बातों में शामिल नहीं होना चाहिए था? उन्होंने इस बैठक में जो कुछ भी कहा है, वह उन्हें या किसी भी शुभचिंतक को क्यों नहीं कहना चाहिए? और, अगर नहीं कहना चाहिए तो फिर उसकी जगह क्या कहना चाहिए?
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