विश्लेषकों का मानना है कि अगर ओलंपिक को बढ़ाया नहीं जाता तो भारत के इसमें चार की जगह सिर्फ एक ही स्वर्ण पदक जीतने की संभावना थी
अभय शर्मा | 28 April 2021 | फोटो : बजरंग पूनिया/फेसबुक
साल 1900 में पहली बार ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ था, तब से भारत ने इसके हर आयोजन में हिस्सा लिया, लेकिन इसमें उसका प्रदर्शन कभी भी अच्छा नहीं रहा. अब तक कुल 24 बार ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ है, जिनमें भारत ने कुल 28 पदक ही जीते है. 2012 के लंदन ओलंपिक में जब भारतीय एथलीटों ने सौ साल का सबसे बेहतर प्रदर्शन करते हुए छह पदक जीते तो अगले ओलंपिक में उनसे और अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जाने लगी थी. लेकिन 2016 के ओलंपिक में भारतीय एथलीट बुरी तरह पिछड़ गए और केवल दो ही पदक हासिल कर पाए. ऐसे में इस साल जापान के टोक्यो में होने वाले ओलंपिक में शायद ही किसी को भारतीय एथलीटों से कोई खास उम्मीद हो. लेकिन ओलंपिक से पहले पदक विजेताओं की भविष्यवाणी करने वाली अमेरिकी संस्था ‘ग्रेसनोट’ ने इस बार भारत के 17 पदक जीतने का अनुमान जताया है. कुछ समय पहले टोक्यो ओलंपिक को लेकर उसने जो भविष्यवाणी की है, उसमें भारत के खाते में चार स्वर्ण, पांच रजत और आठ कांस्य पदक आने की बात कही गयी है. ग्रेसनोट का यह भी कहना है कि भारत इस बार टोक्यो ओलंपिक में शीर्ष 20 देशों में अपनी जगह बना लेगा. अगर ग्रेसनोट की यह भविष्यवाणी सच होती है तो आजादी के बाद यह पहला मौका होगा जब ओलंपिक खेलों में भारत ऊपर के 20 देशों में शामिल होगा.
भारत को लेकर ग्रेसनोट ने क्या कहा है?
23 जुलाई से शुरू हो रहे टोक्यो ओलंपिक के पदक विजेताओं को लेकर ग्रेसनोट ने जो आकलन किया है, उसके मुताबिक इस बार भारत निशानेबाजी में आठ, मुक्केबाजी में चार, कुश्ती में तीन और तीरंदाजी एवं भारोत्तोलन में एक-एक पदक जीत सकता है. आंकड़ों के मुताबिक जो चार स्वर्ण पदक भारत की झोली में आएंगे उनमें से दो पहलवान बजरंग पूनिया और महिला पहलवान विनेश फोगाट जीतेंगी. इसके अलावा एक स्वर्ण पदक महिला शूटर इलावेनिल वलारिवान और एक शूटिंग की मिक्स्ड टीम के खाते में जाने का अनुमान जताया गया है.
ग्रेसनोट ने कहा है कि निशानेबाजी की अलग-अलग स्पर्धाओं में भारत दो स्वर्ण पदक के अलावा तीन रजत और तीन कांस्य पदक भी जीत सकता है. आकलन के मुताबिक शूटर सौरभ चौधरी और मनु भाकर दोनों ही व्यक्तिगत स्पर्धाओं के साथ-साथ मिक्स्ड टीम स्पर्धा में भी देश को रजत पदक दिला सकते हैं. इसके अलावा युवा शूटर यश्वनी देसवाल और 10 मीटर एयर राइफल में विश्व के नंबर एक शूटर दिव्यांश सिंह पंवार के व्यक्तिगत स्पर्धाओं में कांस्य पदक जीतने का अनुमान है. शूटिंग में ही एक कांस्य पदक चिंकी यादव के खाते में जाते दिखाया गया है, लेकिन चिंकी को टोक्यो जाने वाली की ओलंपिक टीम में शामिल नहीं किया गया है, उनकी जगह इलावेनिल वलारिवान भारतीय टीम का हिस्सा हैं. ग्रेसनोट ने अपने विश्लेषण में मुक्केबाजी की स्पर्धाओं में भारत को एक रजत और तीन कांस्य पदक मिलने का अनुमान लगाया है. आकलन के मुताबिक इनमें से एक रजत पदक 25 वर्षीय युवा मुक्केबाज अमित पंघाल और एक कांस्य पदक अनुभवी मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम को मिलने की संभावना है. अमेरिकी संस्था ने भारोत्तोलन (वेटलिफ्टिंग) में भारत के जो एक मात्र (रजत) पदक जीतने की भविष्यवाणी की है, वो दुनिया भर में अपना लोहा मनवाने वाली मणिपुर की सेखोम मीराबाई चानू के खाते में जाते दिखाया गया है.
किस आधार पर अनुमान लगाया गया है?
ग्रेसनोट से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक किसी खिलाड़ी के ओलंपिक में कौन-सा पदक जीतने की कितनी संभावना है, यह जानने के लिए वे पिछले ओलंपिक खेलों, विश्व चैंपियनशिप और विश्व कप में उसके प्रदर्शन पर गहराई से रिसर्च करते हैं. साथ ही उस खिलाड़ी की वर्तमान फॉर्म और उसे चुनौती देने वाले खिलाडियों का भी पूरा आकलन किया जाता है. इस पूरी रिसर्च के बाद ही यह तय किया जाता है कि आने वाले ओलंपिक में वह खिलाडी स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक में से क्या जीत सकता है. आकलन के दौरान ‘समय’ भी एक बड़ा फैक्टर होता है, और इसलिए ओलंपिक से कुछ महीने पहले हुए टूर्नामेंट में किसी खिलाड़ी द्वारा किए गए प्रदर्शन को आकलन के दौरान ज्यादा तवज्जो दी जाती है.
ग्रेसनोट के मुताबिक अगर कोविड-19 के चलते ओलंपिक को एक साल आगे नहीं बढ़ाया जाता तो भारत के स्वर्ण पदकों की संख्या तीन कम हो जाती और वह एक स्वर्ण पदक के साथ केवल 14 पदक ही जीत पाता. उस स्थिति में केवल बजरंग पूनिया ही स्वर्ण पदक के दावेदार होते. यानी ओलंपिक को जिस एक साल की समयावधि के लिए आगे बढ़ाया गया, उस दौरान पहलवान विनेश फोगाट, शूटर इलावेनिल वलारिवान और शूटिंग की मिक्स्ड टीम स्पर्धा के खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन को और धार दे दी. इन्होंने इस दौरान हुए टूर्नामेंट्स में बेहतर प्रदर्शन कर ओलंपिक में स्वर्ण पदक के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी.
पिछले ओलंपिक में ग्रेसनोट की भविष्यवाणी कितनी सही निकली
ग्रेसनोट ने 2016 में हुए रियो ओलंपिक से पहले भी कई तरह की भविष्यवाणी की थीं. संस्था ने रियो ओलंपिक में जिन तीन देशों के पदक तालिका में शीर्ष पर रहने का अनुमान जताया था, वह एक दम सटीक साबित हुआ. उसने अंक तालिका के शीर्ष दस देशों का जो अनुमान लगाया था उसमें आठ देशों के नाम सही थे. 2016 ओलंपिक में ग्रेसनोट ने भारत के पांच पदक जीतने की भविष्यवाणी की थी. उसका कहना था कि इनमें एक स्वर्ण और चार कांस्य पदक होंगे. लेकिन भारत महज दो पदक ही जीत सका जिसमें एक रजत और एक कांस्य पदक था.
क्या भारत इस बार वाकई 17 पदक जीत सकता है?
ओलंपिक को लेकर भारत की तैयारियों पर नजर रख रहे कुछ भारतीय खेल पत्रकारों की मानें तो टोक्यो ओलंपिक के लिए अब तक 90 भारतीय एथलीट क्वालीफाई कर चुके हैं. इनमें से अधिकांश की क्षमता और मौजूदा फॉर्म को देखते हुए 17 पदक जीतना असंभव नहीं लगता. ग्रेसनोट की तरह इनका भी मानना है कि बीते कुछ समय से शूटिंग में भारतीय खिलाड़ी जिस तरह हावी रहे हैं, उसे देखते हुए इस बार उनसे ज्यादा पदक की उम्मीद लगाना बेमानी नहीं होगा. इस समय भारतीय शूटर इलावेनिल वलारिवान दुनिया की नंबर एक शूटर हैं. वे 2019 से लगातार बड़ा स्कोर बनाती आ रही हैं. बीते साल अक्टूबर में अंतरराष्ट्रीय एयर राइफल चैंपियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था. बीते महीने हुए शूटिंग विश्वकप की मिक्स्ड स्पर्धा में भी उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया था. इसके अलावा विश्वकप में यश्वनी देसवाल ने स्वर्ण और देव्यांस सिंह पंवार ने कांस्य पदक जीता था. इसी टूर्नामेंट में सौरभ चौधरी और मनु भाकर ने व्यक्तिगत स्पर्धाओं में अच्छे प्रदर्शन के साथ-साथ मिक्स्ड स्पर्धा में स्वर्ण पदक पर निशाना साधा था. खेल विश्लेषकों के मुताबिक भारतीय शूटरों की फॉर्म को देखते हुए टोक्यो ओलंपिक में उनके आठ पदक लाने की ग्रेसनोट की भविष्यवाणी सही साबित हो सकती है.
अगर रेसलिंग यानी कुश्ती की बात करें तो बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट के टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने की संभावना काफी पहले से जताई जा रही है. ये दोनों ही लगातार अपने प्रदर्शन से प्रभावित कर रहे हैं. इन दोनों ने अप्रैल में ही ताशकंद में हुई एशियन चैंपियनशिप में भी शानदार प्रदर्शन किया है. ओलंपिक से दो महीने पहले हुई इस चैंपियनशिप में विनेश फोगाट ने स्वर्ण पदक और बजरंग ने रजत पदक जीतकर बता दिया कि उनकी बेहतरीन फॉर्म अभी भी जारी है.
भारोत्तोलन में भारत की ओर से एक मात्र पदक मीराबाई चानू को मिलने की भविष्यवाणी की गयी है. विश्व चैंपियन और कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता चानू, हर टूर्नामेंट में पहले से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं. पिछले दो टूर्नामेंट में उन्होंने अपना ही पिछला रिकॉर्ड ध्वस्त किया है. वे 2019 तक 49 किग्रा वर्ग में (स्नैच और क्लीन-जर्क मिलाकर) कुल 201 किग्रा भार उठा पाती थीं. लेकिन पिछले साल फरवरी में कोलकाता में हुई राष्ट्रीय चैंपियनशिप में उन्होंने 203 किग्रा भार उठाया और ताशकंद में हाल ही में हुई विश्व चैंपियनशिप में कुल 205 किग्रा भार उठाकर नया रिकॉर्ड बना दिया. मीराबाई चानू के इस प्रदर्शन को देेेखते हुए टोक्यो ओलंपिक में उनसेे पदक की उम्मीद रखना गलत नहीं है. कुछ जानकार इस बार ओलंपिक में चानू का पदक जीतना इसलिए भी तय मानते हैं, क्योंकि इस समय 49 किग्रा वर्ग की स्पर्धा में उनसे ज्यादा भार केवल चीन की तीन एथलीट ही उठा पाती हैं. लेकिन इन तीन में से केवल एक चीनी एथलीट ही टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा ले पाएगी क्योंकि नियम के मुताबिक भारोत्तोलन में एक भार वर्ग में किसी भी देश का केवल एक ही एथलीट हिस्सा ले सकता है. यानी अगर किसी अन्य देश के एथलीट ने असाधारण प्रदर्शन नहीं किया तो मीराबाई चानू का कम से कम रजत पदक जीतना तय है.
ग्रेसनोट द्वारा टोक्यो ओलंपिक में भारत को एक पदक तीरंदाजी में मिलने की संभावना भी जताई गयी है. खेल विश्लेषकों के मुताबिक यह पदक भारतीय खिलाड़ी अतनु दास और उनकी पत्नी दीपिका कुमारी या तो व्यक्तिगत स्पर्धा में या मिक्स्ड स्पर्धा में जीत सकते हैं. दोनों काफी समय से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. इन दोनों ने ही ग्वाटेमाला सिटी में चल रहे तीरंदाजी विश्वकप की व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है.
ग्रेसनोट द्वारा टोक्यो ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाजों के चार पदक जीतने पर कुछ जानकार सवाल भी खड़े करते हैं. एमसी मैरी कॉम और अमित पंघाल को लेकर ये लोग कहते हैं कि मैरी कॉम ने कई विश्वस्तरीय टूर्नामेंट और ओलंपिक में भी पदक जीता है. पंघाल ने 2019 में विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत के अलावा कुछ महीने पहले ही बॉक्सिंग विश्व कप में स्वर्ण पदक भी हासिल किया है. ऐसे में इन दोनों की ओलंपिक में दावेदारी मजबूत है और इनसे पदक की उम्मीद भी प्रबल है. खेल पत्रकार अभिजीत नायर अपनी एक टिप्पणी में लिखते हैं, ‘लेकिन इन दो के अलावा अन्य भारतीय मुक्केबाजों के मामले यह देखना होगा कि क्या वे ओलंपिक जैसे बड़े आयोजन में अपने प्रदर्शन में निरंतरता बनाये रख पाते है और दबाव को झेलने में कामयाब हो पाते हैं. अगर वे ऐसा कर लेते हैं तो भारतीय मुक्केबाजी द्वारा चार पदक जीते जाने की भविष्यवाणी सच साबित हो जायेगी. साथ ही ओलंपिक में भारत के कुल 17 पदक जीतने की भी.’
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