सवाल जो या तो आपको पता नहीं, या आप पूछने से झिझकते हैं, या जिन्हें आप पूछने लायक ही नहीं समझते
Anjali Mishra | 20 March 2022
सत्याग्रह में हमारे सहयोगी अनुराग भारद्वाज अपने बचपन से जुड़ा एक किस्सा बताते हैं. उनके मुताबिक जब बचपन में वे बाएं हाथ से लिखने की कोशिश किया करते थे तो उनके घर के बड़े मार-पीटकर उन्हें दाएं हाथ से लिखने के लिए कहते थे. हालांकि ज्यादातर लेफ्टीज (बाएं हाथ से काम करने वालों) की तरह उन पर भी घर वालों की कोशिशों का कुछ खास असर नहीं हुआ और वे अब भी अपना काम बाएं हाथ से करते हैं. हालांकि उनके साथ घरवालों की इसी जोर-जबरदस्ती का मजेदार असर यह हुआ कि वे दोनों हाथों से लिख सकते हैं.
अनुराग का यह अनुभव न सिर्फ हिंदुस्तान के बल्कि दुनियाभर के लेफ्टीज की आपबीती कही जा सकती है. हालांकि सिर्फ भारत की ही बात करें तो यहां बाएं हाथ से काम करने वालों को ताउम्र ‘उलटे’ हाथ से काम करने के लिए ताने दिए जाते हैं. चलिए जानते हैं कि दाएं हाथ को ही सीधा हाथ क्यों कहा जाता है या ऐसा क्यों होता है कि दुनिया के ज्यादातर लोग दाएं हाथ से काम करते हैं.
यह सवाल सुनने में भले ही बेमतलब या साधारण सा लगता हो, लेकिन यह आज भी विज्ञान के लिए सबसे बड़े रहस्यों में से एक है. इसके सही-सही कारण का पता लगा पाना इसलिए भी मुश्किल है कि कुछ लोग इसे इंसानी मस्तिष्क की जटिलता से जोड़कर देखते हैं तो वहीं कुछ लोग इसके पीछे मानव सभ्यता के विकास को कारण मानते हैं. इस विषय पर होने वाले ज्यादातर शोध बहुत से पेचीदा विश्लेषणों से गुजरने के बाद भी किसी एक ठोस नतीजे तक नहीं पहुंचे हैं.
असल में किसी एक हाथ से काम करने की कुशलता – जिसे अंग्रेजी में हैंडिडनेस कहा जाता है – किसी व्यक्ति विशेष की नहीं बल्कि दुनिया के हर मनुष्य की व्यक्तिगत खासियत है. इसमें भी खास बात यह है तमाम तरह के प्राइमेट (वानर प्रजाति से विकसित होने वाले जीव) में से यह क्षमता सिर्फ इंसानों के पास है कि वे अपने किसी एक हाथ या उंगलियों का इस्तेमाल बाकी जीवों की तुलना में बेहतर तरीके से कर सकते हैं. इसे विज्ञान की भाषा में मोटर स्किल कहा जाता है. यह अन्य जीवों में नहीं पाई जाती और इस तरह इंसानों की यह विशेषता इस बात की तरफ भी इशारा करती है कि दाएं या बाएं हाथ से काम करने की वजह उनका शारीरिक नहीं दिमागी विकास है.
हालांकि ज्यादातर लोग दाएं हाथ से ही क्यों काम करते हैं, यह एक अनसुलझा सवाल है. फिर भी इसके पीछे बताया जाने वाला कॉमन जवाब यही है कि हैंडिडनेस हमारे मस्तिष्क की संरचना से निर्धारित होती है. हम सब जानते हैं कि मस्तिष्क की संरचना दो हिस्सों में बंटी हुई है. एक हिस्से को बायां हेमिस्फेयर और दूसरे को दायां हेमिस्फेयर कहा जाता है. यहीं पर हमारा मस्तिष्क बाकी जानवरों से एकदम अलग हो जाता है क्योंकि मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्से अलग-अलग कामों को पूरा करने में इस्तेमाल होते हैं. यही इंसान की दो सबसे बड़ी विशेषताओं यानी भाषा और मोटर स्किल का कारण भी है.
वैज्ञानिक मानते हैं कि मस्तिष्क और शरीर की कार्यप्रणाली आश्चर्यजनक रूप से भ्रमित करने वाली है क्योंकि मस्तिष्क का दायां हिस्सा, शरीर के बाएं हिस्से को और बायां हिस्सा, शरीर के दाएं हिस्से को नियंत्रित करता है. यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि शरीर के ज्यादातर काम मस्तिष्क के बाएं हिस्से से नियंत्रित होते हैं या कहा जा सकता है कि मस्तिष्क का बायां हिस्सा ज्यादा सक्रिय होता है. मनुष्य में मस्तिष्क बायां हिस्सा ही भाषा, तार्किक क्षमता और मोटर स्किल के लिए भी जवाबदार होता है. यही वजह है कि ज्यादातर लोग दाएं हाथ से काम करते हैं. माना जाता है कि सभ्यता विकास के क्रम में मस्तिष्क और शरीर का यह संयोजन इंसान के जीन में शामिल हो गया और दुनिया के ज्यादातर इंसान दाएं हाथ से काम करने लगे.
यह अजीब बात है कि इसका उलटा पूरी तरह सही नहीं है. इसका मतलब है कि ऐसा होता तो है कि बाएं हाथ से काम करने वाले लोगों की गतिविधियां दाएं हेमिस्फेयर से नियंत्रित होती हों, लेकिन इसकी संभावना कम ही होती है. अगर आंकड़ों में बात करें तो करीब 61 से 72 प्रतिशत लेफ्टीज के भाषा का केंद्र भी बायां हेमिस्फेयर होता है जबकि दाएं हाथ से काम करने वालों के मामले में यह आंकड़ा 90 प्रतिशत है. यहां पर पेंच तब आ जाता है, जब पता चलता है कि दाएं हाथ से काम करने वाले 10 प्रतिशत लोग, सामान्य अवधारणा से उलट दाएं हेमिस्फेयर से नियंत्रित होते हैं. यहीं पर ज्यादातर शोध अटक जाते हैं और यह सवाल भी कि ज्यादातर लोग दाएं हाथ से काम क्यों करते हैं!
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