गोविंदा ने साल 1986 में रिलीज हुई ‘इल्ज़ाम’ से हिंदी फिल्मों में प्रवेश किया था
Anjali Mishra | 21 December 2021
एक चैट शो के दौरान गोविंदा ने अपनी मां से जुड़ा एक किस्सा सुनाया था कि उनकी मां को कहीं जाना था और मुंबई के खार स्टेशन पर वे उनके साथ लोकल ट्रेन का इंतजार कर रहे थे. ट्रेनें आईं और इतनी ठसाठस भरकर आईं कि एक के बाद एक पांच निकल गईं और वे अपनी उम्रदराज हो चुकी मां को उसमें बिठा नहीं पाए. इस बात से कोफ्त में आकर, वे तुरंत किसी रिश्तेदार के पास भागे और कुछ पैसे उधार लेकर आए जिससे उन्होंने मां को फर्स्ट क्लास का पास बनवाकर दिया. गोविंदा बताते हैं कि उस दिन के बाद से वे ऐसे ‘बिगड़े’ कि उन्होंने सब भूलकर अंधाधुंध काम करना शुरू कर दिया. उनके इस जुनून की शुरुआत साल 1986 में रिलीज हुई फिल्म ‘इल्ज़ाम’ से हुई.
शिबू मित्रा के निर्देशन में, पहलाज निहलानी के प्रोडक्शन तले बनी ‘इल्ज़ाम’ उस साल की सुपरहिट फिल्मों में से एक थी. इस फिल्म ने एक बहुत खूबसूरत, सजीला और अपनी मासूमियत से दिल जीतने वाला सितारा बॉलीवुड को दिया था और यह बात पूरी गारंटी के साथ कही जा सकती है कि गोविंदा के लिए तीन दशक पहले भी इन विशेषणों का इस्तेमाल जरूर किया गया होगा.
‘इल्ज़ाम’ में चोर-कम-डॉन्सर की भूमिका निभा रहे गोविंदा इसके दूसरे ही दृश्य में ‘आई एम अ स्ट्रीट डॉन्सर’ कहते हुए एंट्री लेते हैं तो लगता है, मानो बॉलीवुड में अपने आने का ऐलान कर रहे हों. हालांकि स्ट्रीट डॉन्सर की इस भूमिका में भी वे कोई कमाल का डॉन्स करते नजर नहीं आते फिर भी उनका चार्मिंग होना गाने के दौरान आपका पूरा ध्यान उन पर बनाए रखता है. हां, डांस के नाम पर वे उस दौर के कुछ पॉपुलर स्टेप्स को थोड़ा अपनी फुर्ती और थोड़ा कैमरे की कलाकारी की मदद से परदे पर रिक्रिएट भर कर पाते हैं. इसे देखते हुए किसी के लिए भी यह अंदाजा करना नामुमकिन रहा होगा कि आने वाले वक्त में एक खास तरह का डॉन्स स्टाइल पॉपुलर होगा, जिसके पीछे गोविंदा का नाम और काम होगा.
थिरकते हुए एंट्री करने के बाद अगले ही दृश्य में गोविंदा अपने सलोने चेहरे पर परफेक्ट एक्सप्रेशंस दिखाते हैं और क्लिष्ट हिंदी के भावनात्मक संवाद अपनी फटाफट शैली में दोहराते हैं. इसे देखकर आपके मुंह से निकलता है – ये हुई न कुछ गोविंदा वाली बात! स्पीड में संवाद बोलने का उनका यह स्टाइल उनकी लगभग हर फिल्म में नज़र आता है और कॉमेडी के मामले में खास तौर पर उनके काम आने वाला साबित हुआ है. इसके बावजूद यह नहीं कहा जा सकता कि इस फिल्म में गोविंदा जरा भी उस अभिनेता की झलक दे पाते हैं जो आने वाले वक्त में कॉमेडी फिल्मों का न सिर्फ एक नया ट्रेंड बल्कि एक अलग जॉनर ही सेट करने वाला था. और, यह तो बिल्कुल भी नहीं कि आधी कमरिया से साड़ी पहनकर, वे कभी ‘आंटी नंबर वन’ जैसा किरदार रच सकेंगे!
दिलचस्प यह है कि फिल्म के चौथे-पांचवें फ्रेम में ही वे जमकर एक्शन करते भी दिखते हैं और एक बार फिर अपनी फुर्ती का नमूना पेश करते हैं. कहने का मतलब यह कि ‘इल्ज़ाम’ के पहले तीन-चार दृश्यों में ही गोविंदा वे सारे काम कर जाते हैं जो उन दिनों हिंदी फिल्मों का हीरो किया करता था. अब क्योंकि यह उस समय की हिट मसाला फिल्म थी, सो ये तीनों खासियत करीबन तीन घंटे लंबी इस फिल्म में कई बार देखने को मिलती हैं. यह कहने की जरूरत नहीं है कि गोविंदा जिस भी फ्रेम में होते हैं, नीलम और अनीता राज जैसी खूबसूरत अभिनेत्रियों की मौजूदगी में भी आपकी नजर केवल उन्हीं पर होती है.
आज भले ही यह किरदार रिएलिटी से थोड़ा दूर और घिसा-पिटा लगता हो लेकिन उस समय लोगों ने उनके इस अंदाज पर जमकर तालियां पीटी होंगी, यह तय है. और यह भी कि कई दिनों तक इस नए सुंदर-स्टाइलिश हीरो के आने की चर्चा रही होगी, बगैर यह जाने कि आने वाले वक्त में यह कॉमेडी का सरदार बनकर ‘हीरो नंबर-1’ कहलाने वाला है!
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